अगर पहला बच्चा प्रीमैच्योर हुआ है तो क्या दोबारा भी खतरा बढ़ जाता है, एक्सपर्ट से जानें

अगर पहला बच्चा प्रीमैच्योर यानी समय से पहले पैदा हुआ हो या सीज़ेरियन डिलीवरी से जन्मा हो, तो अगली प्रेगनेंसी में यह चिंता का विषय बन सकता है. ऐसे मामलों में माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि क्या अगली बार भी वही समस्या दोहराएगी. प्रीमैच्योर जन्म होने की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे प्रेगनेंसी के समय मां की सेहत, यूटरस में असामान्यताएं, संक्रमण या प्रेगनेंसी के दौरान तनाव. वहीं, सीज़ेरियन डिलीवरी का कारण भी अगली प्रेगनेंसी में जोखिम बढ़ा सकता है, जैसे कि सर्जरी के दौरान या बाद में होने वाली परेशानियां, सर्जिकल घाव की स्थिति या मां की स्वास्थ्य स्थिति.
बिहार में वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन डॉ अरुण शाह बताते हैं कि प्रीमैच्योर बच्चे या सीज़ेरियन डिलीवरी के बाद अगली डिलीवरी में कुछ संभावित जोखिम बढ़ जाते हैं. इनमें समय से पहले जन्म शामिल हो सकता है, जो नवजात शिशु की सेहत पर असर डाल सकता है. इसके अलावा, जन्म के समय कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि बच्चे का असामान्य स्थिति में होना, वजाइनल मार्ग में कठिनाई या ब्लीडिंग की संभावना. अगर पहला बच्चा सीज़ेरियन से पैदा हुआ था, तो कई बार डॉक्टर दोबारा सीज़ेरियन की सलाह देते हैं, ताकि मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. इसके अलावा, मां में प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर, प्रीक्लेम्पसिया या संक्रमण जैसी समस्याएं भी जोखिम बढ़ा सकती हैं.
अगली प्रेगनेंसी में सावधानी और सही निगरानी
अगली प्रेगनेंसी में डॉक्टर नियमित प्रेनाटल जांच करते हैं और मां के स्वास्थ्य अनुसार सावधानियां बताते हैं. अगर पहला बच्चा प्रीमैच्योर हुआ था, तो प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही मॉनिटरिंग शुरू की जाती है. नियमित अल्ट्रासाउंड और फेटल ग्रोथ चेक से समय से पहले जन्म के संकेत पहचाने जा सकते हैं.
सीज़ेरियन डिलीवरी के मामले में, सर्जिकल घाव की स्थिति और गर्भाशय की मजबूती जांची जाती है, ताकि दोबारा सर्जरी या वजाइनल डिलीवरी सुरक्षित हो सके. मां को हेल्दी डाइट, पर्याप्त आराम और स्ट्रेस फ्री लाइफस्टाइल रखने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर कभी-कभी सप्लीमेंट्स या दवाइयां भी सुझा सकते हैं जो प्रेगनेंसी को सुरक्षित बनाए रखने में मदद करें. इस तरह से, सही देखभाल और समय पर निगरानी से अगली डिलीवरी सुरक्षित बनाई जा सकती है.
इन बातों का रखें ध्यान
नियमित प्रेगनेंसी चेकअप और अल्ट्रासाउंड कराएं.
डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा या सप्लीमेंट न लें.
हेल्दी और पौष्टिक डाइट लें.
आराम करें और पर्याप्त नींद लें.
तनाव कम करने की कोशिश करें.
अगर पहले सीज़ेरियन था, तो दोबारा डिलीवरी के विकल्पों पर डॉक्टर से चर्चा करें.