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चंद्रग्रहण 2025: सूतक काल से पहले कर लें तैयारी…खाद्य पदार्थों में डालना ना भूलें ये चीजें?

total-lunar-eclipse-in-stunning-detail चंद्रग्रहण 2025: सूतक काल से पहले कर लें तैयारी…खाद्य पदार्थों में डालना ना भूलें ये चीजें?

Lunar Eclipse 2025: हिंदू धर्म में ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. जब-जब ग्रहण लगता है, उसके साथ सूतक काल भी जुड़ा होता है. इस दौरान पूजा-पाठ से लेकर खानपान तक कई नियम कड़े हो जाते हैं. खासकर खाने की चीजों में एक खास सावधानी बरतने की परंपरा है और वह है तुलसी पत्ता और कुश डालना. मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहण काल की नकारात्मक ऊर्जा और सूक्ष्म जीवों का असर भोजन पर नहीं पड़ता.

कब लगेगा चंद्रग्रहण 2025 और सूतक काल?

पंचांग के अनुसार साल 2025 का पहला चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात को लग रहा है. भारत में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा, लेकिन धार्मिक दृष्टि से इसका प्रभाव पूरे देश में मान्य होगा. ग्रहण लगने से लगभग 9 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान भोजन बनाना, खाना और पूजा-पाठ सभी निषिद्ध होते हैं.

क्यों डाला जाता है तुलसी पत्ता और कुश?

ग्रहण काल में सबसे खास परंपरा है भोजन और जल में तुलसी पत्ता डालना. धार्मिक मान्यता है कि तुलसी माता का स्वरूप हैं और इस समय भोजन में तुलसी पत्ते डाल देने से वह अशुद्ध नहीं होता. ग्रहण की छाया के बाद भी ऐसा भोजन खाने योग्य माना जाता है. यही नहीं, आयुर्वेद भी बताता है कि तुलसी में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं. इसी तरह कुश को भी शास्त्रों में पवित्र माना गया है. इसे भोजन और जल में डालने का कारण यही है कि ग्रहण काल में सक्रिय नकारात्मक तरंगों का असर भोजन पर न पड़े. कुश के स्पर्श से भोजन शुद्ध बना रहता है. यही वजह है कि ग्रहण से पहले हर घर में बुजुर्ग भोजन को तुलसी और कुश से सुरक्षित रखने की सलाह देते हैं.

सूतक काल में क्या न करें?

ग्रहण और सूतक काल में कई कामों पर रोक होती है. इस दौरान नए कपड़े न सिलने और न पहनने की परंपरा है. भगवान की मूर्तियों को छूना और पूजा करना वर्जित बताया गया है. भोजन बनाना, खाना या सब्जियों की कटाई-छंटाई भी अशुभ मानी जाती है. इतना ही नहीं, सोना और शारीरिक संबंध भी इस दौरान निषिद्ध कहे गए हैं क्योंकि यह समय केवल साधना और शांति के लिए माना जाता है.

ग्रहण के बाद क्या करें?

ग्रहण समाप्त होते ही सबसे पहले स्नान करना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध हो सकें. इसके बाद घर की अच्छी तरह सफाई की जाती है और गंगाजल का छिड़काव किया जाता है. भगवान को भोग लगाकर तुलसी दल अर्पित करने की परंपरा भी है. यदि सूतक काल से पहले भोजन को तुलसी या कुश डालकर सुरक्षित नहीं रखा गया था, तो ग्रहण के बाद ताजा भोजन बनाना और खाना ही उचित माना गया है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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