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नग्न रहने वाली महिला नागा साधु पीरियड के दिनों में क्या करती हैं?

हाल ही में सोशल मीडिया पर नागा महिला साधुओं का वीडियो आया, जिसमें वो बिना कपड़ों के दिखाई देती है। एक जगह दिखाई पड़ता है कि महिला नागा साधु पूरे शरीर में मिट्टी लगाए बिना कपड़ों के ही घूम रही है।

उसे सड़क पर सब लोग घूर-घूर कर देख रहे थे। तभी कुछ महिला पुलिसकर्मी उन्हें पकड़ लेती हैं और नहा के जबरदस्ती वस्त्र पहनाती हैं। वहीँ एक अन्य जगह दिखाई देता है कि महिला नागा साधु बिना वस्त्र के पूजा कर रही हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया कि ये नागा महिला साधु ऐसे में पीरियड के दिनों में क्या करती हैं?

पीरियड में कैसे रहती हैं?

आपको बता दें कि महिला नागा साधु वैसे तो लोगों के सामने कम ही आती हैं। अब प्रयागराज में महाकुंभ लगने वाला है तो उसमें बड़ी संख्या में वो भी दिखाई देंगी। महिला नागा साधु निर्वस्त्र होकर नहीं रहती हैं। वो सभी गेरुआ रंग के कपड़े पहनती हैं। वह गेरुआ वस्त्र बिना सिला हुआ रहता है, ऐसे में पीरियड के दिनों में उन्हें दिक्कत नहीं होता। वो सुबह से शाम तक भगवान शिव का आराधना करती हैं। पुरुष नागा साधुओं को सार्वजानिक जगहों पर नग्न रहने की अनुमति मिली हुई है लेकिन महिला को नहीं।

रहना पड़ता है ब्रह्मचारी

महिलाएं जब दीक्षा लेकर नागा साधु बन जाती हैं तो उन्हें वस्त्र धारण करना पड़ता है। महिला नागा साधु अपने माथें पर तिलक लगाती हैं। उन्हें एक ही कपड़ा पहनने की अनुमति मिलती हैं, जो गेरुए रंग का रहता है। महिला नागा साधु बिना सिले हुए कपड़ा पहनती हैं, जिसको गंती कहा जाता है। नागा साधु बनने से पहले महिला को 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है।

पहले जानिए: नागा साधु कौन होते हैं?

नागा साधु हिंदू धर्म के बहुत पुराने परंपरागत संन्यासी होते हैं जो “दिगंबर” (नग्न) रूप में रहते हैं। वे कठिन तपस्या, ब्रह्मचर्य और सांसारिक मोह से दूर रहने वाले साधु होते हैं। ज़्यादातर नागा साधु पुरुष होते हैं, लेकिन कुछ महिलाएं भी इस परंपरा से जुड़ती हैं, जिन्हें महिला नागा साध्वी कहा जाता है।


🔹 महिला नागा साध्वी और मासिक धर्म (Periods)

महिलाएं चाहे संन्यासिनी हों या सामान्य जीवन में, उनके शरीर की जैविक प्रक्रिया वही रहती है। मासिक धर्म आना एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जिसे हर महिला अनुभव करती है।

तो नागा साध्वी पीरियड के दौरान क्या करती हैं?

  1. निजता और स्वच्छता का ध्यान रखती हैं:
    नागा साध्वी समाज से अलग, आमतौर पर आश्रमों या अखाड़ों में एकांत और अनुशासित जीवन जीती हैं। पीरियड के दौरान वे निजी स्थानों में रहती हैं, खुद की स्वच्छता बनाए रखती हैं।
  2. संयम और विरक्ति का पालन:
    इस दौरान कई बार वे पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों से अलग रहती हैं, जैसा कि कई हिंदू परंपराओं में होता है। हालांकि यह नियम सभी जगह एक समान नहीं होता — कई आश्रम इसको एक जैविक प्रक्रिया मानते हुए भेदभाव नहीं करते।
  3. कपड़ों का उपयोग:
    पीरियड के दौरान, वे सामान्य रूप से अंगों को ढंकने के लिए कपड़े (जैसे लंगोटी, धोती या सूती कपड़े) पहन सकती हैं, ताकि वे स्वयं को साफ-सुथरा और सहज महसूस कर सकें। कई साध्वियां दिगंबर जीवन के दौरान भी आवश्यकतानुसार कपड़ों का उपयोग करती हैं, खासकर मासिक धर्म या सार्वजनिक स्थलों पर।
  4. सेनेटरी साधनों का प्रयोग:
    आजकल कुछ नागा साध्वियां आधुनिक सेनेटरी पैड या कपड़े का प्रयोग भी करती हैं, हालाँकि यह उनकी व्यक्तिगत पसंद और आश्रम की व्यवस्था पर निर्भर करता है।


🔹 समाज में खुलकर चर्चा क्यों नहीं होती?

धार्मिक समुदायों में मासिक धर्म को लेकर खुली चर्चा अब भी वर्जित मानी जाती है। नागा साध्वी जैसी परंपरागत व्यवस्था में यह विषय और भी गोपनीय होता है, इसलिए इस पर अधिक जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती।


🔚 निष्कर्ष:

महिला नागा साध्वी भी एक सामान्य महिला की तरह पीरियड अनुभव करती हैं। वे इस दौरान संयम, स्वच्छता और निजता का पालन करती हैं, और आवश्यकता अनुसार कपड़ों या अन्य उपायों का उपयोग करती हैं। यह विषय जितना आध्यात्मिक है, उतना ही जैविक और व्यक्तिगत भी।

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