सारे औजार होने के बावजूद हमारे बुजुर्ग प्याज को फोड़ कर ही क्यों खाते थे ?
क्या आपने कभी सोचा है कि जब हमारे पास तेज़ धार वाले चाकू हैं, तो हमारे दादा-दादी प्याज को काटने की बजाय मसलकर या फोड़कर क्यों खाते थे? इसके पीछे एक गहरा वैज्ञानिक कारण है।
प्याज कोई नया आविष्कार नहीं है — यह पिछले 5000 वर्षों से न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में उगाया और खाया जा रहा है। लेकिन इसकी खास बात यह है कि जब इसे काटा जाता है, तो इसमें मौजूद रासायनिक तत्व बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करते हैं। इसमें सल्फर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, और जैसे ही यह चाकू की धार से संपर्क में आता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया के अंत में बनता है सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄)। यह वही अम्ल है जो बहुत ही संक्षारक (corrosive) होता है — सोना और प्लेटिनम को छोड़कर बाकी लगभग सभी धातुओं को नष्ट कर सकता है।
क्या आपने कभी प्याज की परतों को गौर से देखा है?
हर परत के ऊपर और नीचे एक पतली झिल्ली होती है — जो न तो पचती है और न ही शरीर को कोई फायदा देती है। जब आप प्याज को फोड़ते हैं, तो ये झिल्लियाँ खुद-ब-खुद अलग हो जाती हैं। लेकिन जैसे ही आप प्याज को चाकू से काटते हैं, ये झिल्ली भी टुकड़ों के साथ सलाद में चली जाती है — और फिर सीधा पेट में।
यही वजह है कि प्याज को फोड़ना ज्यादा समझदारी है, काटना नहीं।
धातु से काटने पर न सिर्फ अपाच्य झिल्ली साथ चली आती है, बल्कि सल्फर युक्त तत्वों की प्रतिक्रिया भी तेज़ हो जाती है, जिससे सल्फ्यूरिक एसिड जैसा तेज़ अम्ल बनता है — जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
ध्यान दीजिए — प्याज की बाहरी परतों में सल्फर सबसे ज़्यादा होता है, जबकि बीच का हिस्सा तुलनात्मक रूप से काफी हल्का और फायदेमंद होता है।
इसलिए आधुनिक बनने की होड़ में परंपरा को न भूलें। चाकू छोड़िए, प्याज को हल्के से फोड़िए — आपकी सेहत आपको धन्यवाद देगी।
अब ज़रा गौर कीजिए प्याज की बनावट पर। इसकी हर परत के ऊपर और नीचे एक पतली झिल्ली होती है, जो इंसानी शरीर के लिए अपाच्य (पचने में असमर्थ) होती है। जब आप प्याज को फोड़ते हैं, तो ये झिल्लियाँ अलग हो जाती हैं, लेकिन जब आप प्याज को काटते हैं, तो ये झिल्लियाँ भी छोटे-छोटे टुकड़ों में आपके भोजन में चली जाती हैं।
इसलिए पुराने समय में लोग प्याज को चाकू से नहीं, हाथ से फोड़कर खाते थे। यह सिर्फ परंपरा नहीं थी, बल्कि एक समझदारी भरा तरीका था।
इसके अलावा, प्याज के बीच का हिस्सा सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। नीदरलैंड्स की Wageningen यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, प्याज के बीच में पाया जाने वाला quercetin नाम का एंटीऑक्सिडेंट शरीर को जवान बनाए रखने में सहायक है और यह विटामिन E का अच्छा स्रोत भी है। सेब और चाय में भी यह पदार्थ पाया जाता है, लेकिन प्याज से मिलने वाला quercetin शरीर में जल्दी अवशोषित हो जाता है।
स्विट्ज़रलैंड की Bern यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि यदि चूहों को प्रतिदिन 1 ग्राम प्याज खिलाया जाए, तो उनकी हड्डियाँ 17% तक अधिक मजबूत हो जाती हैं।
इतना ही नहीं, प्याज का यह मध्य भाग पेट के अल्सर से लेकर हृदय रोगों तक में राहत देता है।
तो अगली बार जब आप सलाद बनाएं, तो उसे चाकू से काटने की बजाय उसे हल्के से दबाकर या फोड़कर खाएं — ठीक वैसे जैसे हमारे बुजुर्ग करते थे। इससे न सिर्फ आपके आंसू बचेंगे, बल्कि आपकी सेहत भी मजबूत होगी।
याद रखिए, प्याज को काटना नहीं, फोड़ना चाहिए — यही विज्ञान है, यही परंपरा है, और यही बुद्धिमानी है।