बंदर ने लगाया 28000 का ‘चूना’… किसान का पैसों से भरा बैग लूटा, पेड़ पर चढ़कर उड़ाए नोट

औरैया जिले की बिधूना तहसील में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक शख्स का पैसों से भरा झोला अचानक एक बंदर लेकर भाग गया. यह नजारा देखते ही लोग हैरान रह गए. हर किसी के मन में यही सवाल था कि आखिर बंदर झोला क्यों ले गया और उसमें क्या था. जानकारी के अनुसार, दौंडापुर निवासी किसान रोहतास सिंह अपनी जमीन का बैनामा कराने तहसील पहुंचे थे. इसके लिए वे लगभग 80 हजार रुपए लेकर आए थे. यह रकम उन्होंने अपनी मोपेड की डिग्गी में रखी थी, तभी अचानक बंदरों का झुंड वहां आ धमका और उनमें से एक बंदर बैग उठाकर भाग गया.
बंदर झोला लेकर सीधे पेड़ पर चढ़ गया और ऊपर जाकर उसे फाड़ डाला. झोला फटते ही उसमें रखे नोट हवा में उड़ने लगे. कुछ नोट नीचे गिर पड़े तो कुछ तेज हवा के साथ इधर-उधर बिखर गए. यह नजारा देखकर मौके पर मौजूद लोग हैरत में पड़ गए. धीरे-धीरे वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई. हर कोई उड़ते नोट लपकने में जुट गया. कोई हवा में उड़ते नोट पकड़ रहा था तो कोई जमीन पर गिरे रुपए समेटने लगा. पूरे माहौल में अफरातफरी का दृश्य देखने को मिला. लोगों का कहना था कि ऐसा नजारा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा, जब अचानक नोटों की बारिश सी होने लगी हो.
घटना का वीडियो हुआ वायरल
घटना की जानकारी मिलते ही तहसील परिसर में मौजूद लोगों ने मोबाइल निकालकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कोई इसे बंदरों की शरारत बता रहा है तो कोई प्रशासन की लापरवाही.
वहीं, पीड़ित रोहतास सिंह ने बताया कि झोले में कुल 80 हजार रुपए थे. इस घटना के बाद बड़ी मुश्किल से 52 हजार रुपए ही वापस मिल पाए. बाकी रकम गायब हो गई. उनका कहना है कि यह रकम वे बैनामा कराने के लिए लाए थे, लेकिन अचानक हुई इस घटना ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है.
28 हजार रुपए नहीं मिले
इस घटना पर एडवोकेट गोविंद कुमार ने भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दौंडापुर निवासी किसान रोहतास सिंह हमारे पास रजिस्ट्री कराने आए थे. उनके बैग में 80 हजार रुपए रखे थे. जब वे हमारे पास कागज देने आए, तभी बंदरों ने बैग से रुपए निकाल लिए और पेड़ पर चढ़कर उन्हें ऊपर से फेंकना शुरू कर दिया.
इसी दौरान कुछ नोट फट गए और कुछ लोगों के हाथ लग गए. एडवोकेट ने बताया कि लगभग 52 हजार रुपए ही वापस मिल पाए, बाकी 28 हजार या तो बंदरों ने फाड़ दिए या फिर भीड़ में लोगों ने उठा लिए. वहीं लोगों का कहना है कि तहसील में लंबे समय से बंदरों का आतंक है, लेकिन कोई जिम्मेदार ध्यान नहीं देता.