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मनीषा हत्याकांड की गुत्थी सुलझी,पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

भिवानी शिक्षिका मनीषा हत्याकांड: पुलिस कार्रवाई और पोस्टमॉर्टम विवाद पर विस्तृत जानकारी


1. पुलिस कार्रवाई

मनीषा हत्याकांड में पुलिस की कार्रवाई शुरुआत से ही विवादों में रही है, और इसने हरियाणा में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। नीचे पुलिस की कार्रवाइयों का चरणबद्ध विवरण और उन पर उठे सवाल दिए गए हैं:

प्रमुख पुलिस कार्रवाइयाँ

  • शुरुआती लापरवाही (11-12 अगस्त 2025):
  • मनीषा के पिता संजय ने 11 अगस्त को लोहारू पुलिस स्टेशन में अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की, जब वह स्कूल और नर्सिंग कॉलेज जाने के बाद घर नहीं लौटी।
  • पुलिस ने शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और कहा कि “लड़की किसी के साथ भाग गई होगी” या “दो-चार दिन में लौट आएगी”। यह टिप्पणी परिजनों को अपमानजनक लगी और उन्होंने इसे पुलिस की लापरवाही का सबूत माना।
  • शिकायत को औपचारिक रूप से 12 अगस्त को ही दर्ज किया गया, जिससे तलाश में देरी हुई। परिजनों का दावा है कि अगर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की होती, तो मनीषा की जान बच सकती थी।
  • शव मिलने के बाद कार्रवाई (13 अगस्त 2025):
  • 13 अगस्त को मनीषा का शव सिंघानी गांव के पास एक खेत में नहर के किनारे मिला। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर शव को कब्जे में लिया और हत्या का मामला दर्ज किया (IPC धारा 302)।
  • पुलिस ने शुरुआत में माना कि मनीषा को अगवा कर हत्या की गई, और उसका शव खेत में फेंका गया।
  • छह जांच टीमें गठित की गईं, जो सीसीटीवी फुटेज, गवाहों, और तकनीकी साक्ष्यों की जांच कर रही हैं।
  • सीसीटीवी और कॉलेज की जांच:
  • पुलिस ने नर्सिंग कॉलेज का दौरा किया, जहाँ मनीषा दाखिला लेने गई थी। कॉलेज स्टाफ ने बताया कि 30 जुलाई से सीसीटीवी कैमरे बंद थे, जिससे कोई फुटेज नहीं मिला।
  • परिजनों ने कॉलेज प्रशासन पर साक्ष्य छिपाने का आरोप लगाया, क्योंकि स्टाफ ने 13 अगस्त तक सीसीटीवी फुटेज देने से मना किया।
  • सुसाइड नोट और आत्महत्या थ्योरी:
  • 13 अगस्त को मनीषा के बैग से एक कथित सुसाइड नोट मिला, जिसकी हैंडराइटिंग मनीषा की लिखावट से मेल खाती है।
  • पुलिस ने दावा किया कि मनीषा ने 11 अगस्त को स्कूल के पास एक दुकान से कीटनाशक खरीदा था, जिसके आधार पर आत्महत्या की संभावना जताई गई।
  • यह दावा परिजनों और ग्रामीणों को स्वीकार्य नहीं हुआ, और उन्होंने इसे पुलिस की “मामला दबाने की साजिश” करार दिया।
  • सोशल मीडिया पर कार्रवाई:
  • पुलिस ने 10 सोशल मीडिया अकाउंट्स (इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब) के खिलाफ FIR दर्ज की, जो मनीषा मामले में भ्रामक और भड़काऊ जानकारी फैला रहे थे।
  • इन अकाउंट्स पर बिना सत्यापन के वीडियो और पोस्ट डालने का आरोप है, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा था।
  • वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी:
  • नए भिवानी एसपी सुमित कुमार और रोहतक रेंज के आईजी वाई पूर्ण कुमार ने जांच को तेज करने का आश्वासन दिया।
  • पुलिस ने शव के 10 सैंपल मधुबन FSL (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) भेजे, जिनकी रिपोर्ट का इंतजार है।

पुलिस पर उठे सवाल

  • लापरवाही का आरोप: परिजनों और स्थानीय लोगों ने पुलिस की शुरुआती निष्क्रियता पर गुस्सा जताया। मनीषा के पिता संजय ने कहा, “पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती, तो मेरी बेटी आज जीवित होती।”
  • आत्महत्या थ्योरी पर अविश्वास: ग्रामीणों और परिजनों ने सुसाइड नोट और आत्महत्या के दावे को खारिज किया, और इसे “प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश” बताया।
  • कॉलेज की भूमिका: पुलिस ने कॉलेज के बंद सीसीटीवी और स्टाफ के गैर-सहयोग पर गंभीरता से जांच नहीं की, जिससे संदेह बढ़ा।
  • गिरफ्तारी में देरी: 19 अगस्त 2025 तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, जिसने जनता का गुस्सा और बढ़ा दिया।

सरकारी हस्तक्षेप

  • हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की:
  • एसपी का तबादला: भिवानी के एसपी मनबीर सिंह का तबादला कर सुमित कुमार को नया एसपी नियुक्त किया गया।
  • पुलिसकर्मियों का निलंबन: लोहारू थाने के SHO अशोक को लाइन हाजिर किया गया, और ASI शकुंतला, ERV ASI अनूप, कांस्टेबल पवन, और SPO धर्मेंद्र को निलंबित किया गया।
  • मुख्यमंत्री का बयान: सैनी ने कहा, “मनीषा हमारी बेटी है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

2. पोस्टमॉर्टम विवाद

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इस मामले का सबसे विवादास्पद पहलू रही है, क्योंकि यह शुरुआती हत्या के दावे से आत्महत्या की थ्योरी की ओर मुड़ गई। नीचे पोस्टमॉर्टम से संबंधित विवाद और निष्कर्षों का विस्तृत विवरण है:

पोस्टमॉर्टम की समयरेखा

  • पहला पोस्टमॉर्टम (13-14 अगस्त, भिवानी सिविल अस्पताल):
  • शव की स्थिति: मनीषा का शव सड़ा हुआ था, गले पर गहरे कट के निशान थे, और कपड़े फटे हुए थे।
  • प्रारंभिक निष्कर्ष: डॉक्टरों ने गले पर तेजधार हथियार से कट को हत्या का कारण बताया। शव पर तेजाब के निशान और आंखों व कुछ अंगों की अनुपस्थिति ने दुष्कर्म और क्रूर हत्या की आशंका बढ़ाई।
  • परिजनों का असंतोष: मनीषा के परिवार ने इस रिपोर्ट पर संदेह जताया और एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड से दोबारा पोस्टमॉर्टम की मांग की।
  • दूसरा पोस्टमॉर्टम (15-18 अगस्त, रोहतक पीजीआई):
  • रोहतक पीजीआई की टीम: डॉ. कुंदन मित्तल की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने दोबारा पोस्टमॉर्टम किया।
  • निष्कर्ष:
    • शरीर में कीटनाशक (जहर) के अंश मिले, जिसे मृत्यु का संभावित कारण बताया गया।
    • गले और चेहरे पर घाव “लैसरेटेड वूंड्स” थे, जो जंगली जानवरों (जैसे कुत्ते या गीदड़) द्वारा कुतरने के कारण थे, न कि तेजधार हथियार से।
    • दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई, क्योंकि शव की खराब हालत और सड़न के कारण यौन शोषण के साक्ष्य स्पष्ट नहीं थे।
    • शव में कई अंग (आंखें, चेहरे की त्वचा) गायब थे, और यह सड़न और जानवरों के कुतरने का परिणाम था।
  • फोरेंसिक जांच: शव के सैंपल मधुबन FSL को भेजे गए, और बिसरा (विसरा) रिपोर्ट का इंतजार है, जो मृत्यु के कारण को और स्पष्ट करेगी।

पोस्टमॉर्टम से जुड़े विवाद

  • परिजनों का अविश्वास:
  • मनीषा के पिता संजय और दादा रामकिशन ने दूसरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को “साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा कि मनीषा नर्सिंग कोर्स करने की इच्छुक थी और आत्महत्या नहीं कर सकती थी।
  • परिजनों ने सीबीआई जांच की मांग की, क्योंकि उन्हें शक है कि प्रभावशाली लोग हत्या को आत्महत्या दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
  • सामुदायिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया:
  • ग्रामीणों और छात्र संगठनों (जैसे अखिल भारतीय छात्र परिषद) ने पोस्टमॉर्टम को “सरकारी दबाव में तैयार” बताया और इसे खारिज किया।
  • कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि यह हरियाणा सरकार की विफलता है, और आत्महत्या थ्योरी “सच को दबाने” की कोशिश है।
  • फोगाट खाप ने महापंचायत में पोस्टमॉर्टम पर सवाल उठाए और 24 घंटे में गिरफ्तारी की मांग की।
  • सुसाइड नोट का विवाद:
  • पुलिस ने दावा किया कि मनीषा के बैग से सुसाइड नोट मिला, लेकिन परिजनों ने इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाया।
  • नोट की सामग्री सार्वजनिक नहीं की गई, और इसकी फोरेंसिक जांच चल रही है।
  • शव की स्थिति:
  • शव की सड़न और जानवरों द्वारा कुतरने के कारण साक्ष्य जुटाना मुश्किल हुआ। यह विवाद का एक बड़ा कारण बना, क्योंकि परिजनों ने तेजाब डालने और क्रूर हत्या की बात कही थी।

वैज्ञानिक जांच

  • फोरेंसिक पैनल: रोहतक पीजीआई ने एक पाँच सदस्यीय फोरेंसिक पैनल बनाया, जो सुसाइड नोट, कीटनाशक, और शव के सैंपल की दोबारा जांच कर रहा है। यह पैनल भिवानी का दौरा कर सकता है।
  • बिसरा रिपोर्ट: मृत्यु के सटीक कारण का पता बिसरा (विसरा) रिपोर्ट से चलेगा, जो अभी मधुबन FSL से प्राप्त नहीं हुई है।

वर्तमान स्थिति (19 अगस्त 2025 तक)

  • पुलिस कार्रवाई:
  • कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, और जांच आत्महत्या और हत्या दोनों कोणों से चल रही है।
  • पुलिस ने सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, लेकिन यह परिजनों के गुस्से को कम नहीं कर पाया।
  • नए एसपी सुमित कुमार ने “100% वैज्ञानिक जांच” का दावा किया है, लेकिन परिणाम अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।
  • पोस्टमॉर्टम विवाद:
  • परिजनों ने दूसरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और शव का अंतिम संस्कार रोक रखा है।
  • सीबीआई जांच की मांग जोर पकड़ रही है, और ग्रामीणों ने पक्का मोर्चा लगाने की चेतावनी दी है।
  • सामाजिक तनाव:
  • भिवानी और चरखी दादरी में इंटरनेट बंदी और भारी पुलिस बल की तैनाती से तनाव बना हुआ है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हरियाणा DGP से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है।

विश्लेषण और निष्कर्ष

  • पुलिस कार्रवाई: पुलिस की शुरुआती लापरवाही ने इस मामले को और जटिल बना दिया। एसपी के तबादले और पुलिसकर्मियों के निलंबन से जनता का गुस्सा कुछ कम हुआ, लेकिन गिरफ्तारी न होने से अविश्वास बना हुआ है। कॉलेज के सीसीटीवी और गवाहों की जांच में देरी ने संदेह को और बढ़ाया।
  • पोस्टमॉर्टम विवाद: दो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स के विरोधाभासी निष्कर्षों ने मामले को रहस्यमयी बना दिया। आत्महत्या थ्योरी और सुसाइड नोट पर परिजनों का अविश्वास जायज है, क्योंकि पुलिस ने नोट की सामग्री या अन्य ठोस साक्ष्य सार्वजनिक नहीं किए। फोरेंसिक जांच अभी भी निर्णायक परिणाम नहीं दे पाई है।
  • महिला सुरक्षा का सवाल: यह मामला दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिनदहाड़े महिलाएँ असुरक्षित हैं, और पुलिस की निष्क्रियता इस असुरक्षा को बढ़ाती है।
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