मोदी-शी की मुलाकात ठोस मुद्दों का हल निकालने में विफल रही… SCO समिट पर बोले असदुद्दीन ओवैसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तियानजिन के दौरे पर पहुंचे हैं. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की. इस बीच AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. उन्होंने जिनपिंग और पीएम मोदी की बैठक को पूरी तरह से विफल करार दिया है. साथ ही ये भी कहा कि इस बैठक से देश जिन मुद्दों का जवाब का उम्मीद कर रहा था, उस पर कोई भी ठोस नतीजा सामने नहीं आया है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए ओवैसी ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति के साथ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक उन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने में विफल रही, जिनकी भारतीयों को तलाश थी. उन्होंने कहा इनमें सबसे ऊपर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन का समर्थन और अफगानिस्तान में CPEC का विस्तार है. उन्होंने कहा कि हमने चीन द्वारा नदियों के जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों के साझाकरण पर एक शब्द भी नहीं सुना है.
‘सैनिक बफर जोन में गश्त नहीं कर सकते’
ओवैसी ने कहा कि लद्दाख में सीमा की स्थिति भी ऐसी है कि हमारे बहादुर सैनिक बफर जोन में गश्त नहीं कर सकते और 2020 के बाद हमारे चरवाहों को कई इलाकों में जाने की अनुमति नहीं है. उन्होंने दावा किया कि दुर्लभ मृदा और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति फिर से शुरू करने के बारे में चीन ने कोई वादा नहीं किया है, न ही उसने कहा है कि वह भारत से और सामान आयात करेगा.
The @PMOIndia meeting with Chinese President today has failed to answer the critical questions that Indians have been looking for. On the top of that list is Chinas support for Pakistan during Operation Sindoor and the extension of CPEC into Afghanistan. We have not heard a
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 31, 2025
‘ठोस मुद्दों पर समाधान निकालने में विफल रही बैठक’
AIMIM सुप्रीमो ने कहा कि ये मुद्दे भारतीयों के लिए मायने रखते हैं न कि फोटो खिंचवाने का मौका, जैकेट का रंग या कालीन की लंबाई. उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि मोदी-शी की मुलाकात ठोस मुद्दों पर कोई समाधान निकालने में विफल रही.
पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार (31 अगस्त) को भारत-चीन सीमा मुद्दे के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की और वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता देते हुए व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने का संकल्प लिया.वार्ता में दोनों नेताओं ने मुख्य रूप से व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक के व्यापक टैरिफ लगाने से वैश्विक व्यापार में व्यवधान उत्पन्न हो गया है.
सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के महत्व पर जोर
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन संबंधों के निरंतर विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि नई दिल्ली परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. दोनों नेताओं ने आतंकवाद और बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म्स पर निष्पक्ष व्यापार जैसे द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों पर भारत और चीन के साझा आधार को बढ़ाने की आवश्यकता पर चर्चा की.