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सुप्रीम कोर्ट: सेना महिला महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मामले में फैसला सुरक्षित, केंद्र सरकार पर लगा है आरोप

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सुप्रीम कोर्ट ने सेना महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से जुड़ी याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई है. इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने 84 अधिकारियों से जुड़े इस मामले में केंद्र सरकार की दलीलों को सुना. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया.

13 शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका के जरिए महिला अधिकारियों ने स्थायी कमीशन न मिलने को चुनौती दी है. इन अधिकारियों में लेफ्टिनेंट कर्नल वनीता पाधी, लेफ्टिनेंट कर्नल चंदनी मिश्रा, लेफ्टिनेंट कर्नल गीता शर्मा जैसी अफसर शामिल हैं। इन महिला अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने कठिन और संवेदनशील इलाकों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर में तैनाती के बावजूद स्थायी कमीशन से वंचित होने का दावा किया है.

ऑपरेशन गलवां में लद्दाख में संभाला मोर्चा

लेफ्टिनेंट कर्नल गीता शर्मा ने का कहना है कि उसने ऑपरेशन गलवां में लद्दाख में कम्युनिकेशन की कमान संभाली थी. इसके अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल स्वाति रावत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान काम किया था. इस दौरान वह आतंक प्रभावित क्षेत्रों में तैनात रहीं. महिला अधिकारियों के वकील गुरुस्वामह ने बताया कि एक महिला अफसर को बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय उन्हें एक सप्ताह में ही सेवा छोड़ने को कहा गया.

स्थायी कमीशन के लिए आंका ही नहीं गया

महिला अधिकारियों का आरोप है कि इसके बाद भी उन्हें पुरुष अफसरों की तरह स्थायी कमीशन के लिए आंका ही नहीं गया. अगर देखा जाए तो उनका काम भी पुरुष अधिकारियों के बराबर रहा है. उन्होंने कहा कि 2020 से पहले महिलाएं पात्र नहीं थीं, इसलिए उनकी ACR (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) 2019 में फ्रीज हो गई, जिससे उनका ग्रेड कमजोर पड़ गया।

केंद्र और सेना ने क्या कहा

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र की ओर से दलील दी. उन्होंने कहा कि बबीता पुनिया (2020) और नितीशा (2021) मामलों के फैसलों का पूरी तरह पालन हो रहा है. जो भी खामियां बताई गई थीं, उन्हें सुधार लिया गया है. उन्होंने भेदभाव से इनकार करते हुए बताया कि ACR लैंगिक रूप से तटस्थ हैं। चयन बोर्ड के सामने अफसर का नाम नहीं होता, इसलिए कोई पूर्वाग्रह नहीं।

कोर्ट ने कहा, नीति में सुधार जरूरी

जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इसका मतलब ये नहीं कि सेना ने स्थायी कमीशन की नीति में सुधार कर लिया है और नितीशा फैसले के बाद सारी खामियां दूर हो गईं. पीठ ने स्पष्ट किया कि नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल से जुड़ी इसी तरह की याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी.

क्या है मामला?

2020 के बबीता पुनिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को स्थायी कमीशन का अधिकार दिया था. 2021 के नितीशा फैसले ने इसमें और स्पष्टता लाई लेकिन इन याचिकाओं में महिलाएं कह रही हैं कि नीति का अमल ठीक से नहीं हो रहा. कुल 84 अधिकारियों का मामला है, जिसमें 13 SSC वाली महिलाएं मुख्य हैं.

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