Skip to content

65 साल की अम्मा की सियार से फाइट, 30 मिनट तक लड़ती रहीं; साड़ी से गर्दन कस मार डाला

mp-news-1280-720-2025-09-10t221508.438 65 साल की अम्मा की सियार से फाइट, 30 मिनट तक लड़ती रहीं; साड़ी से गर्दन कस मार डाला

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में रहने वाली 65 साल की बुजुर्ग महिला सुरजिया की बहादुरी की चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर पूरे इलाके में हो रही है. दरअसल, इस महिला को जंगल में अकेला देखकर एक जंगली सियार ने हमला बोल दिया. इस दौरान बहादुर महिला अपनी जान बचाने के लिए सियार से लड़ गई. करीब आधे घंटे तक बुजुर्ग महिला और जंगली सियार के बीच संघर्ष चलता रहा. सियार हमला कर महिला को घायल करता रहा.

वहीं बुजुर्ग महिला अपनी जान बचाने की कोशिश में जुटी रही. इस दौरान महिला ने अपनी साड़ी निकालकर सियार के गले में फंदा डाल दिया. महिला ने तक दोनों हाथों से जोर से पकड़े रही, गला कसने से सियार ने दम नहीं तोड़ दिया. इस पूरी घटना के बाद बुजुर्ग महिला घटनास्थल पर बेहोश हो गई. बाद में घर वाले जब उसे ढूंढते हुए पहुंचे और अस्पताल पहुंचाया तो इलाज के दौरान बुजुर्ग महिला को करीब 6 घंटे बाद होश आया. तब उन्होंने अपनी आप बीती सबको सुनाई.

‘मैं उसे नहीं मारती तो वो मुझे मार देता’

सुराजिया बाई ने अपनी संघर्ष की कहानी को बयां करते हुए बताया कि सियार को संभालना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में मैंने उसके जबड़ों को अलग-अलग दिशा में खींचना शुरू कर दिया. लगातार जंगली सियार के जबड़े खींचने से उसके मुंह से खून आने लगा. वह घायल हुआ तो हमला करना कम किया. मैं उससे लड़ तो रही थी लेकिन मैं भी थकने लगी थी. करीब 20 मिनट बीत गए थे लेकिन उसे मारूं कैसे यह समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि उसे नहीं मारती तो वह मुझे मार देता.

यही सोचकर मैंने और हिम्मत जुटाकर अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दिया. क्योंकि उस वक्त मेरे दिमाग में आया कि फंदे से इसका गला कस दूं. लेकिन एक हाथ से मेरी पकड़ कमजोर होने पर वह मुझ पर हावी होने लगा और एक बार फिर से हमलावर हो गया. उसके हमले से पहले मैं सावधान होकर उसके ऊपर बैठ गई. मैंने साड़ी निकाल दी जैसे-तैसे फंदा बनाया और उसके गले में डाल दिया.

बुजुर्ग को 6 घंटे बाद आया होश

मेरी पकड़ कमजोर हुई तो वह मेरी ओर झपटा मैंने तेजी से फंदा खींच दिया. वह तड़पने लगा काफी देर तक तड़पने के बाद वह शांत हो गया. मेरी हिम्मत भी जवाब दे गई. उससे लड़ते हुए करीब 30 मिनट हो गए थे. मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा. मुझे नहीं पता कि मेरे हाथ से साड़ी कब छूट गई, क्योंकि मैं बेहोश हो चुकी थी. करीब 6 घंटे बाद होश आया तो पता चला अस्पताल में हूं. हमले से शरीर पर कई जगह जख्म हो गए हैं. जिनका इलाज अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों द्वारा किया जा रहा है.

बुजुर्ग ने जंगली सियार को मारा

65 साल की बुजुर्ग बहादुर महिला ने बताया कि उसे तो पता ही नहीं था कि सियार मरा या जिंदा है. बस उसे तो यह पता था कि उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और उसके हाथ से साड़ी की पकड़ ढीली होने लगी. उसके बाद क्या हुआ पता नहीं. लेकिन जब खुद को अस्पताल में जिंदा देखा तो अपने आप से मिलकर वह बेहद खुश है.

सुराजिया बाई की इस कहानी को जिसने भी सुना वह हैरान रह गया. दरअसल एक जंगली सियार बहुत ही चालक और खूंखार हमलावर होता है. ऐसे में महिला द्वारा खुद की जान बचाने को लेकर संघर्ष और बहादुरी की अद्भुत कहानी ने सबको हैरान कर दिया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *