छठ पूजा (Chhath Puja) एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो विशेष रूप से भारत, नेपाल और अन्य देशों के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, खासकर बिहार, झारखंड, उत्तरी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में। यह पूजा सूर्य देवता (सूर्य भगवान) और छठी मैया (सूर्य देवता की बहन) की पूजा के रूप में प्रसिद्ध है। यह पूजा विशेष रूप से आश्विन मास (हिन्दू कैलेंडर के अनुसार) में होती है और यह मुख्य रूप से चार दिन की होती है।
छठ पूजा का समय:
छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (चौथे दिन) को मनाई जाती है। यह पूजा दीपावली के कुछ दिन बाद होती है, यानी अक्टूबर-नवंबर के बीच, जब कार्तिक माह का शुक्ल पक्ष होता है।
छठ पूजा की तिथियां अलग-अलग सालों में थोड़ी बदल सकती हैं, लेकिन आमतौर पर यह दीपावली के छह दिन बाद आती है। पूजा की शुरुआत नवमी (चतुर्थी से पहले) से होती है, और मुख्य पूजा छठी (चतुर्थी के दिन) को होती है।
छठ पूजा क्यों की जाती है?
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करना है। इस दिन भक्त सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। यह पूजा विशेष रूप से संपत्ति, समृद्धि, और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है। इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है, जो जीवन में खुशहाली और सुख-शांति लाने के लिए किया जाता है।
मुख्य कारण:
- सूर्य देवता की पूजा: सूर्य देवता को जीवनदाता माना जाता है, और उनकी पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य को सभी देवी-देवताओं में प्रमुख माना गया है क्योंकि उनके द्वारा पृथ्वी पर जीवन संभव है।
- परिवार और समृद्धि के लिए आशीर्वाद: छठ पूजा के दौरान लोग सूर्य देवता से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं। यह पूजा विशेष रूप से संतान सुख और परिवार के जीवन में समृद्धि के लिए की जाती है।
- प्राकृतिक तत्वों का सम्मान: इस पूजा में सूर्य देवता के साथ-साथ जल और वृक्षों का भी सम्मान किया जाता है। छठ पूजा प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक अवसर है, क्योंकि यह सूर्य और जल के संयोजन के माध्यम से जीवन के सृजन और पोषण के महत्व को मान्यता देता है।
- पापों का नाश और आत्मिक शांति: छठ पूजा के दौरान व्रति (व्रति करने वाला व्यक्ति) अपने सभी पापों को धोने के लिए और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करता है। यह पूजा विशेष रूप से नैतिक शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है।
क्यों खास है छठ पूजा?
- आध्यात्मिक और शारीरिक तप: छठ पूजा बहुत कठोर होती है, जिसमें भक्त पानी में खड़े होकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। इसमें निर्जला व्रत (बिना पानी के उपवासी रहना) और अर्घ्य (सूर्य को अर्घ्य देना) जैसी कठिन पूजा विधियाँ शामिल होती हैं।
- संपूर्ण परिवार की सहभागिता: इस पूजा में केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा परिवार भाग लेता है। पूजा के दौरान सभी सदस्य एक साथ मिलकर सूर्य देवता की आराधना करते हैं, जिससे पारिवारिक एकता और सामूहिक श्रद्धा का संचार होता है।
- स्वच्छता और परिश्रम: छठ पूजा में विशेष रूप से स्वच्छता और परिश्रम का पालन किया जाता है। व्रति अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए पूरी निष्ठा से पूजा करते हैं, साथ ही पर्यावरण की भी सफाई करते हैं।
छठ पूजा की विधि:
- **पहला दिन – Nahay Khay: पूजा के पहले दिन व्रति अपनी शारीरिक शुद्धता के लिए स्नान करके शुद्ध आहार करते हैं। यह दिन घर की सफाई और शुद्धता से जुड़ा होता है।
- **दूसरा दिन – Kharna: दूसरे दिन व्रति पूरे दिन उपवासी रहते हैं और शाम को खीर और रोटी का प्रसाद पकाते हैं, जिसे परिवार के सभी सदस्य मिलकर खाते हैं। इस दिन सूर्योदय से पहले का समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में व्यतीत होता है।
- **तीसरा और चौथा दिन – Suryodaya aur Suryasth: पूजा का मुख्य दिन तीसरे और चौथे दिन होता है, जब व्रति सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए नदी, तालाब या किसी जलाशय में जाते हैं। व्रति सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्योदय के साथ अर्घ्य अर्पित करते हैं और सूर्य की पूजा करते हैं। इस दौरान महिलाएं पानी में खड़ी होकर सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
निष्कर्ष:
छठ पूजा एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो सूर्य देवता की पूजा और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का महत्वपूर्ण अवसर है। यह पूजा विशेष रूप से परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य, और आत्मिक शांति के लिए की जाती है। यह कठोर व्रत, प्रकृति से जुड़ी पूजा और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है।