डोनाल्ड ट्रंप की वापसी अगर 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में होती है, तो इसका भारत-अमेरिका संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप का कार्यकाल पहले भी भारत के साथ कई क्षेत्रों में सक्रिय था, लेकिन उनकी वापसी से कुछ बदलाव हो सकते हैं। आइए, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका संबंधों पर संभावित प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।
1. आर्थिक और व्यापार संबंध
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में उथल-पुथल देखने को मिली। ट्रंप ने “America First” नीति के तहत कई देशों से व्यापारिक समझौतों को पुनः संशोधित किया और भारत के साथ भी व्यापार घाटा (trade deficit) को लेकर सवाल उठाए थे।
- टैरिफ (Tariffs): ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर कई बार उच्च टैरिफ लगाए, विशेष रूप से स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर। अगर ट्रंप वापस आते हैं, तो हो सकता है कि वह फिर से भारत के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की कोशिश करें।
- व्यापार समझौते: हालांकि, ट्रंप ने भारतीय बाजार में अमेरिकी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कुछ फैसले किए थे, जैसे कि आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए विशेष उपाय। लेकिन व्यापार असंतुलन के कारण व्यापार वार्ता में कठिनाई आ सकती है।
2. रक्षा और रणनीतिक सहयोग
ट्रंप के कार्यकाल में भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में काफी वृद्धि हुई थी। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों जैसे Lemoa (Logistics Exchange Memorandum of Agreement), Cismoa (Communications Compatibility and Security Agreement) और Becca (Basic Exchange and Cooperation Agreement) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना था।
- रक्षा सहयोग की मजबूती: यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग और भी मजबूत हो सकता है, क्योंकि ट्रंप चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में भारत को स्ट्रैटेजिक साझेदार के रूप में देख सकते हैं।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग: ट्रंप ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत को एक प्रमुख भागीदार माना था। अगर ट्रंप लौटते हैं, तो यह सहयोग और भी गहरा हो सकता है, खासकर साउथ चाइना सी और अमेरिकी सैन्य बलों के संदर्भ में।
3. चीन नीति
ट्रंप के कार्यकाल में चीन के साथ संबंधों में काफी खटास आई थी। उन्होंने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध (trade war) छेड़ा और टैरिफ बढ़ाए। ट्रंप के दृष्टिकोण में भारत को एक स्ट्रैटेजिक पार्टनर के रूप में देखा गया था, जो चीन के खिलाफ एक संतुलन बना सकता है।
- चीन के खिलाफ साझेदारी: यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारत और अमेरिका के बीच चीन विरोधी रणनीति में सहयोग बढ़ सकता है, जिसमें रक्षा, व्यापार, और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर नई पहल हो सकती है।
- चीन पर दबाव: ट्रंप ने चीन के व्यापारिक और सैन्य विस्तार को लेकर कड़े कदम उठाए थे, और भारत भी इस रणनीति में एक अहम सहयोगी बन सकता है।
4. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण
ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने का निर्णय लिया था, जबकि भारत ने इसे समर्थन दिया था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पर्यावरण के मुद्दे पर उनके दृष्टिकोण में बदलाव संभव है। इससे भारत और अमेरिका के बीच पर्यावरण नीतियों में अंतर हो सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: हालांकि ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी नीति से हाथ खींचे थे, लेकिन नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की संभावना बनी रहती है।
- पारिस्थितिकी पर नीतियां: अगर ट्रंप पर्यावरण के मुद्दों पर अधिक आक्रामक रवैया अपनाते हैं, तो भारत को अपनी जलवायु नीतियों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता हो सकती है।
5. वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद
ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ा था, विशेष रूप से पाकिस्तान से आतंकवाद के मुद्दे पर। भारत ने अमेरिका के सहयोग से पाकिस्तान पर दबाव डालने की कोशिश की थी।
- आतंकवाद विरोधी सहयोग: ट्रंप के कार्यकाल में भारत को आतंकवाद विरोधी अभियानों में मजबूत समर्थन मिला था। उनकी वापसी से भारत को आतंकवाद के खिलाफ और अधिक सहयोग मिलने की संभावना हो सकती है।
- पाकिस्तान और अफगानिस्तान: ट्रंप ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कठोर रुख अपनाया था। यदि वह वापसी करते हैं, तो भारत को इस संदर्भ में और अधिक कूटनीतिक समर्थन मिल सकता है।
6. डायस्पोरा और सामाजिक मुद्दे
भारतीय अमेरिकी समुदाय अमेरिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और ट्रंप के कार्यकाल में इस समुदाय के लिए कई पहल की गई थीं। ट्रंप के वापसी से भारत-अमेरिका के सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं।
- द्विपक्षीय संवाद: ट्रंप भारतीय अमेरिकी समुदाय से अच्छे संबंध रखते थे, और उनकी वापसी से इस समुदाय की सक्रिय भागीदारी बढ़ सकती है। इससे भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध मजबूत हो सकते हैं।