डोनाल्ड ट्रंप 2024 में अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद, तो यह चीन के लिए कई चुनौतियाँ और तनाव पैदा कर सकता है। ट्रंप का राष्ट्रपति पद संभालने का तरीका और उनका चीन के प्रति दृष्टिकोण पहले भी कड़ा था, और यह संभावना है कि 2024 में उनका दृष्टिकोण पहले से अधिक सख्त हो सकता है। आइए कुछ प्रमुख कारणों पर चर्चा करते हैं कि क्यों चीन को डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने से तनाव हो सकता है:
1. व्यापार युद्ध और टैरिफ नीतियाँ
ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” के दृष्टिकोण के तहत, उन्होंने चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ा था। उनके प्रशासन ने चीन पर भारी टैरिफ लगाए थे और व्यापारिक असंतुलन को सुधारने के लिए कई कदम उठाए थे। ट्रंप ने चीन को आर्थिक प्रतिद्वंद्वी मानते हुए इस पर जोर दिया कि चीन को अपनी व्यापारिक नीतियों में सुधार करना होगा।
- 2024 में अगर ट्रंप पुनः राष्ट्रपति बनने के बाद , तो यह संभावना है कि वे फिर से टैरिफ बढ़ा सकते हैं और चीन के व्यापार को और कड़ा बना सकते हैं। इससे चीन को व्यापार और निर्यात पर अधिक दबाव हो सकता है।
2. तकनीकी और डिजिटल प्रतिस्पर्धा
ट्रंप ने चीन के तकनीकी विकास को भी एक चुनौती के रूप में देखा। उन्होंने कई चीनी कंपनियों, जैसे Huawei और ZTE, पर सुरक्षा और जासूसी के आरोप लगाते हुए अमेरिका में प्रतिबंध लगाए थे। उनका मानना था कि चीन की बढ़ती तकनीकी ताकत से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- ट्रंप के 2024 में सत्ता में लौटने से, चीन की तकनीकी कंपनियों पर और भी कड़े प्रतिबंध लग सकते हैं। इससे चीन की टेक्नोलॉजी क्षेत्र की विकास क्षमता को और ज्यादा कठिनाइयाँ हो सकती हैं।
3. ताइवान मुद्दा
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ताइवान के साथ अमेरिकी संबंधों को मजबूत किया और चीन के साथ तनावपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न कीं। उन्होंने ताइवान के समर्थन के लिए अमेरिकी हथियारों की बिक्री को बढ़ाया और ताइवान के प्रति अमेरिका का समर्थन दिखाया, जिसे चीन अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
- 2024 में ट्रंप की वापसी से ताइवान के प्रति उनका समर्थन और अधिक स्पष्ट हो सकता है, जिससे चीन के लिए दबाव बढ़ सकता है। ट्रंप के प्रशासन में चीन को यह डर हो सकता है कि अमेरिका ताइवान के मुद्दे पर चीन को घेरने का प्रयास करेगा, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में और तनाव बढ़ सकता है।
4. चीन पर कड़ी नीतियाँ और दबाव
ट्रंप ने चीन पर “सख्त” नीतियाँ अपनाई थीं, जैसे:
- चीन को “मनी लॉन्ड्रिंग” और “बौद्धिक संपदा चोरी” के लिए जिम्मेदार ठहराना।
- हांगकांग में लोकतंत्र विरोधी कदमों को लेकर चीन पर दबाव बनाना।
- चीन को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करना और दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार के खिलाफ आलोचना करना।
ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद, तो चीन पर इन मुद्दों पर अधिक दबाव बना सकते हैं, और चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक आलोचना और राजनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।
5. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक कड़ी नीतियाँ
चीन के लिए एक और चिंता का विषय यह हो सकता है कि ट्रंप एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने सहयोगियों (जैसे जापान, भारत, और ऑस्ट्रेलिया) के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारियाँ और मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने पहले भी “Indo-Pacific Strategy” के तहत चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए कई कदम उठाए थे, जैसे QUAD (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) के साथ अधिक सहयोग।
- ट्रंप के 2024 में वापसी से, चीन को डर हो सकता है कि अमेरिका एशिया में चीन के खिलाफ कड़ी रणनीतियाँ अपनाएगा और उसे वैश्विक राजनीति में अलग-थलग करने का प्रयास करेगा।
6. चीन पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप
चीन को लेकर ट्रंप प्रशासन का रुख मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में भी सख्त था, जैसे उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन की नीतियाँ, हांगकांग में लोकतंत्र का हनन, और तिब्बत में चीनी शासन के मुद्दे।
- ट्रंप के फिर से सत्ता में आने पर, चीन के मानवाधिकार रिकार्ड पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और संयंत्रित प्रयास हो सकते हैं, जो चीन के लिए एक और राजनीतिक और आर्थिक तनाव का कारण बन सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद, तो यह चीन के लिए कई मोर्चों पर तनाव का कारण बन सकता है:
- व्यापार युद्ध और टैरिफ बढ़ने की संभावना।
- तकनीकी क्षेत्र में प्रतिबंध और अंतरराष्ट्रीय दबाव।
- ताइवान मुद्दे पर अमेरिका का समर्थन बढ़ने से चीन को सुरक्षा के लिहाज से चिंता हो सकती है।
- चीन पर मानवाधिकार और सुरक्षा मुद्दों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना और दबाव।
इसलिए, चीन को ट्रंप के शासन में अपने रणनीतिक कदमों को और अधिक सावधानी से बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि ट्रंप के कड़े रुख से चीन के सामने राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा-related तनाव बढ़ सकते हैं।