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UN में सुधार जरूरी, राजनाथ सिंह बोले- कई देश अंतरराष्ट्रीय कानून की उड़ा रहे धज्जियां

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को साफ शब्दों में कहा कि मौजूदा संयुक्त राष्ट्र (UN) की संरचना और कामकाज आज की वैश्विक वास्तविकता से मेल नहीं खाता. लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) में चल रहे 26वें अंतरराष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर दिया कि दुनिया को किसी नई संस्था की नहीं, बल्कि मौजूदा यूएन को वर्तमान दौर के हिसाब से दुरुस्त करने की जरूरत है.

राजनाथ ने बेबाक अंदाज में कहा कि आज दुनिया के कई हिस्से युद्ध और संघर्ष की आग में जल रहे हैं. इजराइल-हमास, रूस-यूक्रेन जैसे संकट सामने हैं. ऐसे में यूएन की भूमिका कहीं ज्यादा मजबूत और प्रभावी दिखनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा. वजह साफ है, कुछ देश अंतरराष्ट्रीय कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं और अपने घरेलू कानूनों को दुनिया पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने यूएन की संरचना पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि यूएन आज भी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सोच और कुछ चुनिंदा देशों के दबदबे में चल रहा है. तब से दुनिया बहुत बदल गई है. नए देश उभरे हैं, नई ताकतें सामने आई हैं. जब परिस्थितियां बदलती हैं तो संस्थाओं में भी बदलाव जरूरी हो जाता है. आज यूएन सुरक्षा परिषद में पावर शेयरिंग और न्याय की कमी साफ दिखाई देती है. यह कुछ देशों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.

शांति और न्याय एक ही सिक्के के दो पहलू

रक्षा मंत्री ने भारतीय दर्शन को सामने रखते हुए कहा, भारत सदियों से मानता आया है कि शांति और न्याय अलग-अलग नहीं हैं. जहां सम्मान है, वहीं शांति है, जहां सम्मान है, वहीं विश्वास पैदा होता है. जब भी दुनिया में संकट आया, चाहे नेपाल भूकंप हो, श्रीलंका संकट हो, अफगानिस्तान से लोगों को निकालना हो या अफ्रीका में मदद पहुंचानी हो. भारत सबसे पहले पहुंचा है. हमारी सेना ने करीब तीन लाख जवान शांति मिशनों में भेजे, दर्जनों ने बलिदान दिया. यह कोई डिप्लोमेसी नहीं, हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है.

पेड़ की टहनियां काटकर फल की उम्मीद की जाती है भला?

यूएन की मौजूदा कमजोरियों पर तंज कसते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, जिन देशों पर वैश्विक संस्थाओं को मजबूत करने की जिम्मेदारी है. वही लोग कई बार अपने हित में प्रक्रियाएं रोक देते हैं, फंडिंग पर रोक लगा देते हैं. यह ऐसा है जैसे कोई पेड़ की सारी टहनियां, पत्ते-पत्ते काट दे और फिर उम्मीद करे कि वह फल देगा, ऐसा हो नहीं सकता.

CMS और जगदीश गांधी को याद किया

कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने भावुक अंदाज में CMS के संस्थापक स्व. जगदीश गांधी को याद किया. उन्होंने कहा, लखनऊ में CMS जैसे संस्थान बच्चे नहीं, आने वाली पीढ़ियां गढ़ रहे हैं. पढ़ाई के साथ संस्कार और विश्व शांति का बीज बोया जा रहा है. जगदीश जी से मेरा पुराना और गहरा नाता रहा है. उनकी स्मृति को नमन करता हूं. सम्मेलन में दुनिया भर से आए मुख्य न्यायाधीश और कानूनविद मौजूद रहे.

राजनाथ सिंह ने उनसे आग्रह किया कि वे यूएन सुधार के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और ठोस सुझाव सामने लाएं. भारत एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी स्पष्ट और सैद्धांतिक आवाज बुलंद कर रहा है. वसुधैव कुटुम्बकम सिर्फ नारा नहीं, हमारा जीवन-दर्शन है और हम चाहते हैं कि आने वाला वैश्विक व्यवस्था भी इसी भावना पर टिका हो.

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