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कुम्भकर्ण था एक बड़ा वैज्ञानिक, जानिये उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी और पुत्रों का क्या हुआ

रामायण में कुम्भकर्ण को ज्यादातर लोग सिर्फ सोने के लिए जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि कुम्भकर्ण एक वैज्ञानिक के साथ-साथ धर्मों का अद्भुत ज्ञाता था। कुम्भकर्ण, ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। कुम्भ का अर्थ होता है घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण उसका नाम कुम्भकर्ण रखा गया था। पुराणों के अनुसार, कुम्भकर्ण अपने पूर्व जन्म में असुरराज हिरण्यकशिपु का छोटा भाई हिरण्याक्ष था, जिसका वध भगवान विष्णु के वाराह अवतार द्वारा हुआ था। कुंभकर्ण की ऊंचाई छह सौ धनुष के बराबर थी और मोटाई सौ धनुष के बराबर थी। कहते हैं कि उसकी आँखें गाड़ी क पहियों जितनी बड़ी थी।

कुम्भकर्ण इतना अधिक खाता था कि उसकी एक खुराक में कई नगरों का पेट भर जाता। ब्रह्माजी ने सोचा कि अगर ये ऐसे ही खाता रहा, तो एक दिन सृष्टि से मनुष्य और जीव ही गायब हो जायेंगे। इसलिए, जब ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए रावण और कुम्भकर्ण ने तप किया, तो वरदान देते वक्त ब्रह्माजी के कहने पर माता सरस्वती ने कुम्भकर्ण की बुद्धि भ्रष्ट कर दी और कुम्भकर्ण ने इन्द्रासन की जगह निन्द्रासन मांग लिया। जब कुम्भकर्ण को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसने ब्रह्माजी से विनती की कि उसे जागने का अवसर भी मिले, तो ब्रह्मा जी ने उसे एक दिन जागने का अवसर दिया लेकिन यह भी कहा कि अगर इसे समय से पहले जगाया गया, तो इसकी मृत्यु तय है। इसलिए, कुम्भकर्ण छः महीने सोता था, एक दिन जागता था और फिर सो जाता था।


कुम्भकर्ण के बारे में कहा जाता है कि उसे तमाम वेदों और धर्म-अधर्म की जानकारी थी। वह भूत और भविष्य का ज्ञाता था। वह पाप से भी दूर था क्योंकि वो अधिकतर समय सोता था, तो उसे कभी भी ज्यादा कर्म करने का अवसर ही नहीं मिला। राक्षस प्रवृत्ति का होने के बावजूद कुम्भकर्ण बहुत ही सरल स्वभाव का था। वो एक दिन जो जागता, तो सारे प्रयोग के काम करता था। उसे नए विमान, यन्त्र, अस्त्र इत्यादि बनाने का बहुत शौक था। तो, वो अपना वो एक दिन परीक्षण में ही गुजार देता था।

कुम्भकर्ण की मृत्यु के बाद उसके परिवार का क्या हुआ?कुम्भकर्ण जानता था कि भगवान् राम विष्णुजी के अवतार हैं और माता सीता माँ लक्ष्मी का। इसलिए, उसने पहले रावण को बहुत समझाया लेकिन उसके ना मानने पर वो अपना भाई धर्म पूरा करने युद्धभूमि चला गया। कुम्भकर्ण ये भी जानता था कि भगवान् राम के हाथों मरने पर उसे मुक्ति मिलेगी। कुंभकर्ण की तीन पत्नियां थें – वज्रज्वाला, कर्कटी, तडित्माला। पहली पत्नी के पुत्रों का नाम कुंभ और निकुंभ था, जिसमें से निकुंभ बहुत शक्तिशाली था। उसे कुबेर ने निगरानी का खास दायित्व सौंपा गया था। दूसरी पत्नी के बेटे का नाम था भीमासुर था, जिसने अपने पिता की मृत्यु की बदला लेने के लिए देवताओं से युद्ध भी किया था। बाद में भगवान शिव से उसका मुकाबला हुआ और शिव ने उसे भस्म कर दिया। तीसरी पत्नी से हुए पुत्र का नाम मूलकासुर था, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती।

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