पाकिस्तान हाइब्रिड मॉडल माने या न माने या हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार करें आईसीसी ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को चेतावनी दी है कि वह हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार करें यदि वह स्वीकार नहीं करता है तो चैंपियंस ट्रॉफी का टूर्नामेंट पाकिस्तान के बिना होगा और पाकिस्तान की ओर से अभी यह हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव खारिज किया जा चुका है यदि पाकिस्तान हाइब्रिड मॉडल पर सहमत नहीं होता है तो उसकी आर्थिक रूप से काफी नुकसान होगा और चैंपियन ट्रॉफी की मेजबानी किसी और के हाथ में जा सकती है
क्रिकेट में हाइब्रिड मॉडल क्या है ?
क्रिकेट में “Hybrid Model” एक ऐसा आयोजन मॉडल है, जिसमें एक टूर्नामेंट या लीग के कुछ हिस्से एक देश में आयोजित होते हैं, जबकि बाकी हिस्से दूसरे देश या देशों में होते हैं। इसे “संकर मॉडल” भी कहा जा सकता है। इस मॉडल का उद्देश्य टूर्नामेंट के आयोजन को अधिक लचीला और सुरक्षित बनाना है, खासकर जब सुरक्षा, राजनैतिक या अन्य कारणों से किसी एक जगह पर टूर्नामेंट का आयोजन करना मुश्किल हो।
Hybrid Model का मुख्य उद्देश्य और फायदे:
- सुरक्षा कारणों से लचीलापन: अगर किसी देश में सुरक्षा की समस्या हो या वहां के राजनीतिक हालात ऐसे हों कि टूर्नामेंट का आयोजन मुश्किल हो, तो Hybrid Model के तहत टूर्नामेंट का कुछ हिस्सा वहां और कुछ हिस्सा दूसरे देशों में आयोजित किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, पाकिस्तान या अफगानिस्तान जैसे देशों में सुरक्षा समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इस मॉडल के तहत टूर्नामेंट को अन्य देशों में भी आयोजित किया जा सकता है।
- आर्थिक लाभ: Hybrid Model से टूर्नामेंट को विभिन्न देशों में आयोजित करने के कारण उसे ज्यादा दर्शक मिल सकते हैं, और कई देशों को आर्थिक लाभ भी हो सकता है। जैसे कि टिकट बिक्री, मीडिया अधिकार, प्रायोजन आदि से वित्तीय योगदान बढ़ सकता है।
- विभिन्न देशों को लाभ: इस मॉडल के जरिए छोटे देशों को भी बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट्स का आयोजन करने का अवसर मिल सकता है, जिससे क्रिकेट के विकास में मदद मिल सकती है। इससे उन देशों में भी क्रिकेट को बढ़ावा मिलेगा जहां पहले ऐसा कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं होता था।
- वैश्विक स्तर पर खेल का प्रचार: Hybrid Model से क्रिकेट को अधिक वैश्विक स्तर पर फैलाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि यह एक अधिक विस्तृत और विविध दर्शक वर्ग तक पहुँच सकता है।
Hybrid Model का एक उदाहरण:
मान लीजिए, ICC Champions Trophy जैसे बड़े टूर्नामेंट्स के आयोजन में कुछ मैच भारत में आयोजित किए जाएं और कुछ मैच यूएई या इंग्लैंड जैसे देशों में। यह दोनों देशों को टूर्नामेंट से होने वाले आर्थिक और प्रचार लाभ को समान रूप से साझा करने का मौका देगा। इससे अगर किसी एक देश में सुरक्षा कारणों से मैच नहीं हो सकते, तो दूसरे देश में उन्हें आयोजित किया जा सकता है, और टूर्नामेंट का आयोजन भी बाधित नहीं होगा।
Hybrid Model के संभावित नुकसान:
- लॉजिस्टिक मुद्दे: टूर्नामेंट के आयोजन को अलग-अलग देशों में करने के कारण लॉजिस्टिक और प्रशासनिक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे खिलाड़ियों, प्रबंधन, और अन्य कर्मचारियों का ट्रांसपोर्टेशन, उपकरणों का स्थानांतरण आदि।
- समानता की कमी: यदि टूर्नामेंट के कुछ मैच एक देश में और कुछ अन्य देश में होते हैं, तो उस देश में खेले गए मैचों की पिचें, मौसम और खेलने की परिस्थितियाँ अलग हो सकती हैं, जो टूर्नामेंट के समग्र अनुभव को प्रभावित कर सकती हैं।
- आयोजन का असंतुलन: अगर एक देश में ज्यादा मैच होते हैं और दूसरे देश में कम, तो इससे आयोजन का असंतुलन हो सकता है, जिससे एक देश को अधिक लाभ हो सकता है जबकि दूसरे देश को कम।
Hybrid Model का ICC में प्रयोग:
इस तरह के मॉडल को ICC जैसी वैश्विक संस्था कुछ टूर्नामेंट्स में अपनाने का विचार कर सकती है, खासकर जब किसी देश में सुरक्षा या राजनीतिक संकट हो। ICC Champions Trophy और ICC World Cup जैसे बड़े टूर्नामेंट्स में यह मॉडल लागू हो सकता है, यदि भविष्य में इन आयोजनों के लिए किसी एक स्थल पर पूरी तरह से आयोजन करना संभव न हो।
Hybrid Model क्रिकेट के आयोजन का एक लचीला तरीका है, जो विशेष रूप से सुरक्षा और आर्थिक कारणों से उपयुक्त हो सकता है। हालांकि, इसमें लॉजिस्टिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ हो सकती हैं, लेकिन यह खेल के वैश्विक प्रसार और आर्थिक अवसरों के लिहाज से एक अच्छा कदम हो सकता है।
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