आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के तहत धारा 10(26AAA) विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए छूट प्रदान करती है, जो सिक्किम राज्य के स्थायी निवासी होते हैं। यह छूट सिक्किम राज्य के निवासियों को प्राप्त होती है और इसका उद्देश्य उन्हें आयकर से कुछ राहत प्रदान करना है।
धारा 10(26AAA) के तहत छूट के प्रावधान:
- सिक्किम के स्थायी निवासी:
- यह छूट सिक्किम के स्थायी निवासियों को दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति सिक्किम का स्थायी निवासी है और वह राज्य के बाहर आय अर्जित करता है, तो उसे उस आय पर आयकर में कुछ छूट मिलती है।
- आयकर से छूट:
- इस धारा के तहत, सिक्किम के स्थायी निवासियों को अपनी संपत्ति या अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर आयकर से छूट दी जाती है, बशर्ते वह आय सिक्किम के बाहर से प्राप्त न हो।
- प्रावधान:
- यदि कोई व्यक्ति सिक्किम का स्थायी निवासी है और उसकी आय सिक्किम के बाहर से अर्जित होती है, तो उस पर सामान्य आयकर नियम लागू होते हैं। लेकिन यदि वह व्यक्ति सिक्किम में रहकर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित छूट का लाभ उठाता है, तो वह कुछ छूट का पात्र हो सकता है।
क्या छूट मिलती है?
- इस धारा के तहत सिक्किम के स्थायी निवासियों को सिक्किम के बाहर प्राप्त आय पर कोई विशेष छूट नहीं मिलती है। हालांकि, सिक्किम में निवास करने वाले व्यक्तियों को राज्य सरकार द्वारा कुछ अन्य छूट मिल सकती हैं, लेकिन केंद्रीय आयकर पर कोई व्यापक छूट नहीं होती है।
धारा 10(26AAA) के तहत सिक्किम के स्थायी निवासियों को आयकर में कुछ छूट मिलती है, विशेष रूप से अगर उनकी आय सिक्किम में अर्जित हो। हालांकि, यह छूट राज्य के बाहर अर्जित आय पर लागू नहीं होती है।
सिक्किम का विलय भारत में 1975 में हुआ, और इससे पहले सिक्किम एक स्वतंत्र या विशेष दर्जे वाला राज्य था, जो एक संविधानिक राजतंत्र के रूप में अस्तित्व में था।
सिक्किम का भारत में विलय:
- पारंपरिक स्थिति:
- सिक्किम 19वीं शताब्दी के अंत तक एक स्वतंत्र राज्य था, लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य के तहत एक संरक्षित राज्य (Protectorate) के रूप में था।
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, सिक्किम ने भारत के साथ एक विशेष संबंध बनाए रखा, और उसे भारतीय संघ में शामिल करने की प्रक्रिया 1950 के दशक से शुरू हो गई।
- 1950 का भारत- सिक्किम समझौता:
- 1950 में भारत और सिक्किम के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके अनुसार सिक्किम भारत के साथ एक विशेष संबंध बनाए हुए था, लेकिन इसका एक अलग शासन था।
- यह समझौता सिक्किम को सुरक्षा, विदेश नीति, और संचार में भारत से जुड़ा हुआ मानता था, लेकिन सिक्किम ने अपनी आंतरिक स्वायत्तता बरकरार रखी थी।
- सिक्किम की स्वायत्तता:
- सिक्किम के राजा (चोग्याल) और राजसी शासन के तहत सिक्किम का एक संविधान था। भारत के संविधान में सिक्किम को एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था।
- लेकिन 1970 के दशक में, सिक्किम में बढ़ते राजनीतिक तनाव और असंतोष के कारण, वहाँ की जनता और राजनीतिक नेताओं ने सिक्किम को भारतीय संघ का हिस्सा बनाने की मांग की।
- 1975 में सिक्किम का भारत में विलय:
- 1975 में, सिक्किम की संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सिक्किम को भारत के 22वें राज्य के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया।
- चोग्याल (राजा) पवित्रन नाथ सिंह ने यह निर्णय स्वीकार किया और इसके बाद सिक्किम भारत में राज्य के रूप में शामिल हुआ।
- सिक्किम के इस विलय के बाद, इसे भारतीय संघ में एक राज्य के रूप में पूरी तरह से शामिल कर लिया गया, और वहाँ की राजनीतिक स्थिति में बदलाव आया।
सिक्किम का विलय भारत में किस शर्त पर हुआ?
सिक्किम के विलय के दौरान कुछ विशेष शर्तें थीं, जो बाद में संविधान संशोधन के रूप में लागू की गईं:
- सिक्किम का विशेष दर्जा:
- सिक्किम को विशेष संविधानिक अधिकार प्राप्त थे, जिनमें राज्य के निवासियों को कुछ विशेष लाभ मिलते थे, जैसे आयकर से कुछ छूट (जो कि अब तक मौजूद है)।
- सिक्किम के स्थायी निवासियों को केंद्र सरकार के करों और अन्य प्रावधानों से कुछ राहत दी गई।
- सिक्किम का सांस्कृतिक और सामाजिक संरक्षण:
- सिक्किम के निवासियों की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए कई प्रावधान किए गए थे।
- सिक्किम को अपने स्वायत्त शासन के तत्वों को बनाए रखने का अवसर मिला, हालांकि भारतीय संविधान और केंद्र सरकार के नियमों के अधीन था।
सिक्किम का भारत में विलय एक ऐतिहासिक प्रक्रिया थी, जो 1975 में पूरी हुई। इस विलय के दौरान, सिक्किम को कुछ विशेष अधिकार और छूट मिली थीं, खासकर स्थायी निवासियों के लिए आयकर में छूट जैसे प्रावधान। सिक्किम का विलय एक स्वीकृत राजनीतिक निर्णय था, जिसमें सिक्किम के राजा और संसद की सहमति शामिल थी, और यह भारतीय संघ के हिस्से के रूप में हुआ।
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