दिवाली के त्यौहार पर माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा होती है इस साल दिवाली किसी जगह पर 31 अक्टूबर को और किसी जगह पर १ नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। हमारे भारतवर्ष में पुरे देश में दिवाली बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है दीपमाला से घर को सजाया जाता है दिवाली की तैयारियां १० से १५ दिन पहले से ही करनी शुरू हो जाती है एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाये दी जाती है सभी भेदभाव भूलकर सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये
गणेश-लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और धन-धान्य का कभी अभाव नहीं होता है।
दिवाली का पूजन कैसे करे
- दिवाली पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें।
- एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को स्थापित करें। गणेश जी के दाहिनी ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- अब पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें।
- सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें।
- हाथ पर लाल या पीले रंग का पुष्प लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें
- भगवान गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें दूर्वा व मोदक अर्पित करें।
- फिर लक्ष्मी जी को कुमकुम से तिलक करें
- हाथ पर लाल या पीले रंग का पुष्प लेकर लक्ष्मी जी ध्यान करें और उनके मंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः का जाप करें
- देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- पूजा करने के बाद मां लक्ष्मी व गणेश जी की आरती उतारें और भोग अर्पित करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद शंखनाद करें और क्षमायाचना करें।
- आरती के बाद परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
मां लक्ष्मी जी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥