आदि कर्मयोगी अभियान पर मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स (जनजातीय कार्य मंत्रालय) का दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस बुधवार को समाप्त हुआ. इस कॉन्फ्रेंस में 20 से अधिक राज्यों के अधिकारी शामिल थे. इस सम्मेलन का मकसद 2047 तक विकसित भारत के लिए जनजातीय नेतृत्व को सुदृढ़ बनाना था. कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों ने जमीनी स्तर पर शासन के लिए रोडमैप तैयार किया. इस दौरान ‘आदि संस्कृति’ का बीटा संस्करण भी लॉन्च किया गया जो जनजातीय कलाकृतियों के लिए एक डिजिटल शिक्षा मंच है.
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन की शुरुआत आदि कर्मयोगी अभियान की स्थिति रिपोर्ट और एक वीडियो प्रस्तुति के विमोचन के साथ हुई. इसके बाद ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्ट्री के सचिव विभु नायर ने ‘विकसित भारत @2047 में जनजातीय नेतृत्व की भूमिका’ विषय पर भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने जनजातीय समुदायों को कैसे सशक्त बनाया जाए, इसके बारे में बताया.
इसके बाद 20 राज्यों से आए अधिकारियों ने कई मॉडल प्रस्तुत किए. इस दौरान विलेज एक्शन प्लान, विलेज विजन 2030 प्रैक्टिस और आदि सेवा केंद्रों की भूमिका पर जोर दिया गया. इसके अलावा फॉरेस्ट राइट्स एक्ट और PM-JANMAN पर खास चर्चा की गई.
जनजातीय नेतृत्व को मजबूत करने का रोडमैप रेडी
इसके बाद के सत्र में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और ब्लॉक प्रोसेस लैब्स (डीपीएल/बीपीएल) की प्रगति, स्टेस मास्टर्स ट्रेनर्स/डिस्ट्रिक्ट मास्टर ट्रेनर्स के ट्रेनिंग, आदि सेवा आवर और आदि सेवा दिवस के संस्थागतकरण और आदि सेवा पर्व के हिस्से के रूप में 2 अक्टूबर 2025 को विशेष ग्राम सभाओं में वीएपी को मंजूरी देने की तैयारियों की समीक्षा की गई.
वहीं, कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन इस अभियान को जमीन पर कैसे उतारा जाए, इसको लेकर रोडमैप तैयार किया गया. ग्राम कार्य योजनाओं और प्रोसेस लैब के समय पर संचालन से लेकर आदि सेवा केंद्रों का संचालन तक पर चर्चा की गई. इसके बाद जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने सभा को संबोधित किया और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में जनजातीय नेतृत्व की केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया.