
भारतीय कानून के तहत, यदि पति आर्थिक रूप से असमर्थ है और पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है, तो पति भी गुजारा भत्ता पाने का हकदार हो सकता है। इसके लिए मुख्यतः हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के प्रावधान लागू होते हैं।
किन परिस्थितियों में पति गुजारा भत्ता मांग सकता है?
- पति बेरोजगार या आर्थिक रूप से निर्भर हो – यदि पति के पास कोई आय का स्रोत नहीं है और वह अपनी आजीविका नहीं चला सकता।
- पत्नी की आय अधिक हो – यदि पत्नी अच्छी कमाई कर रही है, जैसे कि ऊँचा वेतन, व्यवसाय, या अन्य वित्तीय संपत्तियाँ हैं।
- पति शारीरिक या मानसिक रूप से असमर्थ हो – यदि किसी बीमारी या विकलांगता के कारण पति काम करने में असमर्थ है।
- पत्नी ने तलाक की याचिका दायर की हो – और पति खुद को आर्थिक रूप से संभालने में असमर्थ हो, तो अदालत पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकती है।
कानून जो पति को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार देते हैं:
✅ हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (धारा 24 और 25) – यह प्रावधान पति और पत्नी दोनों को अंतरिम और स्थायी गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार देता है।
✅ दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 – पहले यह सिर्फ पत्नी, बच्चों और माता-पिता के लिए था, लेकिन कुछ मामलों में पति भी इसका लाभ उठा सकता है।
महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले:
📌 Kanchan vs. Virendra Nath – इस केस में कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी सक्षम है और पति असमर्थ, तो उसे गुजारा भत्ता दिया जा सकता है।
📌 Ravindra Hariprasad Trivedi vs. Rajshree Ravindra Trivedi – इस केस में भी पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था।
तलाक के बाद पत्नी को कितनी राशि दी जाती है?
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क्या तलाक के बाद पत्नी को पति की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है?
क्या तलाक के बाद पत्नी पैसे मांग सकती है?
तलाक के बाद औरत को क्या मिलता है?
किस मामले में गुजारा भत्ता नहीं दिया जाता है?
क्या पुरुष गुजारा भत्ता मांग सकते हैं?
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