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Jitiya Vrat Niyam: जितिया व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं? जानिए इस कठिन उपवास के नियम

how-to-fast-for-jitiya-2025 Jitiya Vrat Niyam: जितिया व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं? जानिए इस कठिन उपवास के नियम

Jitiya 2025: जितिया व्रत तीन दिनों तक मनाया जाता है, जो कि मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल की कुछ जगहों पर बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. 13 सितंबर को नहाय-खाय से जितिया की शुरुआत हुई. वहीं, 14 सितंबर को जितिया का निर्जला व्रत किया जाएगा. इसके अलावा, 15 सितंबर को जितिया व्रत का पारण होगा. माताओं के लिए इस व्रत का बहुत महत्व होता है, क्योंकि यह संतान के लिए रखा जाता है. भविष्य पुराण की मानें तो इस व्रत को करने से संतान की लंबी उम्र होती है और जीवन खुशहाली से भर जाता है.

बिहार और पूर्वांचल में यह बड़ा व्रत माना जाता है. अगर आप भी जितिया व्रत करने जा रही हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. इस लेख में हम आपको बताएंगे इस व्रत में महिलाओं के लिए नियम.

जितिया व्रत 2025

जितिया व्रत के दूसरे दिन को यानी अष्टमी तिथि को ओठगन कहा जाता है, जो 14 सितंबर को है. इस दिन सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में जितिया ओठगन रहेगा. इस दौरान व्रती महिलाएं चूड़ा, दही, पानी, नारियल पानी आदि ग्रहण कर सकती है. ये भोजन ग्रहण करने के बाद अपने शरीर को दरवाजे से टिकाकर पानी ग्रहण किया जाता है. इसके बाद फिर अगले दिन ही व्रत पारण कर पानी पिया जाता है.

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त कब है?

  1. सूर्योदय :- सुबह 6:05 मिनट पर.
  2. ब्रह्म मुहूर्त :- सुबह 4:33 से 5:19 मिनट तक.
  3. सायाह्न संध्या :- शाम 6:27 से 7:37 मिनट तक.

जितिया व्रत में क्या करना चाहिए?

नहाय-खाय – व्रत का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ होता है. इस दिन माताएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और सात्विक भोजन करती हैं. भोजन में मरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है.

निर्जला व्रत – व्रत के मुख्य दिन को ‘खुर-जितिया’ कहते हैं. यह व्रत पूरी तरह से निर्जला रखा जाता है. यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण तक चलता है.

शाम की पूजा – व्रत के दूसरे दिन शाम के समय महिलाएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और व्रत कथा सुनती हैं.

तर्पण – व्रत के दौरान कुश के बने जीमूतवाहन की पूजा का विधान है. कुछ महिलाएं जीमूतवाहन को अर्पित करने के लिए नदी या तालाब में तर्पण भी करती हैं.

पारण – जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है. पारण के समय झींगा मछली और मडुआ रोटी खाने की परंपरा है. कहते हैं कि इससे व्रत का पूरा फल मिलता है.

दान – जितिया व्रत पूर्ण होने के बाद जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है.

जितिया व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?

अन्न-जल का सेवन:- व्रत के दूसरे दिन अन्न और जल का त्याग किया जाता है. इस दिन पानी की एक बूंद भी न पिएं.

तामसिक भोजन:- जितिया व्रत के दौरान तामसिक भोजन का सेवन न करेंन ही घर में तामसिक भोजन बनाना चाहिए.

नकारात्मकता से दूर:- जितिया व्रत के इस दौरान किसी से लड़ाई-झगड़े और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए.

अनजाने में गलती:- अगर जितिया व्रत में गलती से कुछ खा लें, तो तुरंत मां से क्षमा मांगनी चाहिए और अगले साल व्रत को करने का संकल्प लेना चाहिए.

अपमान न करें:- इस व्रत के दौरान किसी भी व्यक्ति, बुजुर्ग और बच्चों का बिल्कुल भी अपमान नहीं करना चाहिए.

महिलाओं के लिए जितिया व्रत के नियम क्या हैं

जितिया व्रत के नियमों में नहाय-खाय से लेकर निर्जला उपवास, पूजा विधि और पारण तक कुछ विशेष सावधानियां बरती जाती हैं. इस व्रत में अगले दिन नहा कर सात्विक भोजन किया जाता है. फिर व्रत के दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है. शाम को जीमूतवाहन, चील और सियार की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है. अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देकर और व्रत कथा सुनकर शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाता है. व्रती महिलाओं को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए और किसी से अपशब्द कहने या बुराई करने से बचना चाहिए.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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