Vamana Avatar: भगवान विष्णु ने वामन अवतार क्यों लिया था? जानिए इस अवतार की कहानी

Vamana Avatar Story: हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है, जिसे वामन द्वादशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप के अवतार लिया था और यह शुभ दिन श्रवण नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में मनाया जाता है. इस बार वामन जयंती 4 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी. वामन अवतार भगवान विष्णु के 10 सबसे प्रमुख अवतारों में से एक है. अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर विष्णु जी ने वामन अवतार क्यों लिया? चलिए आपको इस लेख में बताएंगे वामन अवतार की कहानी.
वामन जयंती क्यों मनाई जाती है?
हर साल वामन जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था, जो कि उनका पांचवां अवतार था. यह अवतार लेकर भगवान विष्णु ने राजा बलि के अहंकार को चूर किया और तीनों लोकों पर कब्जा कर रहे राजा बलि के अत्याचारों से देवों को मुक्त करवाया था. यह उत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जो वामन अवतार के जन्म दिवस का प्रतीक है.
वामन अवतार कहां हुआ था?
वामन अवतार का जन्म बिहार के बक्सर के सिद्धाश्रम में देवी अदिति के गर्भ से हुआ था. वामन अवतार की मुख्य घटना केरल राज्य के थ्रीक्काकारा में हुई थी, जहां वामन भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी. राजा बलि ने इसी कस्बे में अपना यज्ञ आयोजित कराया था, जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया था.
वामन अवतार के तीन पग
वामन अवतार के तीन पगों में पहले पग से भगवान विष्णु ने स्वर्गलोक (देवलोक) और दूसरे पग से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा तो महाबली ने अपना सिर आगे कर दिया, जिसे भगवान विष्णु ने पाताल लोक भेज दिया. इस तरह वामन अवतार ने तीन पगों से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, जिससे राजा बलि का घमंड और साम्राज्य समाप्त हो गया.
वामन अवतार की कहानी
वामन अवतार की कथा के अनुसार, सतयुग में राजा बलि अपनी शक्ति और तप के बल पर तीनों लोकों पर अधिकार कर चुका था, जिससे देवलोक में त्राहि-त्राहि मच गई थी. राजा बलि देवराज इंद्र सहित देवताओं को परेशान कर रहा था. इस संकट से मुक्ति पाने के लिए देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की. तब भगवान विष्णु ने देव माता अदिति के गर्भ से एक छोटे कद के ब्राह्मण बालक, वामन के रूप में जन्म लिया. यह भगवान विष्णु के मानव रूप में पहले अवतार थे.
अपनी दानवीरता और वचनबद्धता के लिए प्रसिद्ध असुर राज बलि ने एक यज्ञ करवाया, जिसमें वामन भगवान भी पहुंचे. वामन अवतार ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी. बलि के गुरु शुक्राचार्य ने वामन के रूप में भगवान विष्णु को पहचान लिया और बलि को इस दान से मना किया, क्योंकि इससे राजा बलि का सब कुछ छिन जाएगा.
राजा बलि ने गुरु की बात अनसुनी कर दी और अपने दान के वचन को निभाने के लिए तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया. संकल्प लेने के बाद वामन देव ने विशाल रूप धारण किया. फिर उन्होंने अपने पहले पग से पूरी पृथ्वी और दूसरे पग से स्वर्गलोक को नाप लिया. अब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची तो वामन ने पूछा कि तीसरा पग कहां रखें? राजा बलि ने अहंकार और वचनबद्धता से अपने सिर पर पैर रखने को कहा. वामन देव ने जब बलि के सिर पर अपना तीसरा पैर रखा तो बलि पाताल लोक में पहुंच गया.
राजा बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया. इस प्रकार देवराज इंद्र को उनका स्वर्गलोक वापस मिल गया और बलि का घमंड भी चूर-चूर हो गया. वामन जयंती के भगवान वामन की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है, जिससे भक्तों को विष्णु जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)