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गुरुग्राम में अपनी बेटी की हत्या करने वाले बिल्डर दीपक यादव का कबूलनामा पढ़िए।

“मैं एक बिल्डर हूं, फ्लैट बनाकर किराए पर देता था। मेरी बेटी राधिका टेनिस की बड़ी खिलाड़ी थी। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई पदक जीत चुकी थी। इस बात पर पूरे परिवार को गर्व था। मैं भी बेटी राधिका पर गर्व करता था।

करीब 3 माह पहले राधिका के कंधे में चोट लग गई थी। यह चोट टेनिस खेलते वक्त ही लगी थी। उन्होंने डॉक्टर से इलाज कराया। चोट से तो आराम मिल गया, लेकिन बेटी ने टेनिस खेलना छोड़ दिया। इसके बाद राधिका ने अपनी एकेडमी खोल ली, जहां वह लड़के-लड़कियों को टेनिस सिखाती थीं। जब मैं दूध लेने जाता था तो लोग ताना मारते थे। कहते थे तेरी बेटी तो बढ़िया पैसा कमा रही है। तेरे मजे हैं, तू बेटी की कमाई खा रहा है। मजे हैं तेरे और तेरे परिवार के। लोगों की यह बात मुझे चुभती थी। मैंने कई बार इस बारे में राधिका से भी बात की थी। लोगों के ताने सुन-सुनकर मैं परेशान हो गया था। मैंने राधिका से कहा था कि ये एकेडमी बंद कर दे। हमारा परिवार संपन्न है, कोई दिक्कत नहीं होगी। इस पर राधिका ने कहा था कि लोग क्या कहते हैं, मुझे इसकी परवाह नहीं है। खेल ने उसका करियर बनाया है, तो इससे पैसा कमाना कौन सी बुरी बात है।

गुरुवार को भी मैंने राधिका से एकेडमी न जाने के लिए कहा था, मगर वह नहीं मानी। मुझसे झगड़ने लगी। लोगों के तानों की वजह से मैं काफी परेशान हो चुका था। ऐसे में जब बेटी नहीं मानी तो अपनी लाइसेंसी पिस्टल से उसे गोली मार दी।”

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